संस्कृत एवं संस्कृति के मनुष्यों के लिए संस्कृत भारती के द्वारा देश की राजधानी दिल्ली में विश्व संस्कृत सम्मेलन का आयोजन एक महत्वपूर्ण घटना है।इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के विषय में सैन्य विद्यालय के छात्र,सनातनी-राष्ट्रवादी एवं संस्कृतपुत्र मेगास्टार आज़ाद ने अपने गुरुगंभीर वज्रकंठ स्वर में कहा कि विगत शनिवार से तीन दिवसीय महासम्मेलन जिसमें सत्रह देशों के संस्कृत प्रेमी,संस्कृतजीवी एवं संस्कृत साधकों ने भाग लिया ये ऐतहासिक उपलब्धि है। आज़ाद ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि समय का वर्तूल पूरा हो चुका है।नए भारत का नया सूर्योदय क्षितिज पर दिख रहा है।सदियों-अब्दों -सहस्राब्दों की सांस्कृतिक-राजनैतिक एवं आध्यात्मिक दासता के बाद आज सही अर्थों में भारत का अर्थ प्रकट हो रहा है।
आज़ाद ने अपनी कालजयी कृति अहम ब्रह्मास्मि के साथ जिस नए भारत और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का बीजारोपण किया था आज चहूंओर उसकी सांस्कृतिक फ़सल आत्माभिमान की धरती पर लहलहा रही है।सैन्य विद्यालय के छात्र मेगा स्टार आज़ाद की सिनेमाई रचनात्मकता एवं पुरुषार्थ का ही सहज परिणाम है कि आज इस पुण्यभूमि- भारतभूमि-देवभूमि के साथ ही पूरा विश्व संस्कृतमय हो चुका है।संस्कृत के माध्यम से संस्कृति की ये आध्यात्मिक यात्रा निर्बाध गति से पूरे विश्व को मानव संज्ञा से विभूषित कर रही है।सनातन धर्म की विजय पताका बिना रक्तपात के विश्व मंच पर लहरा रहा है।अहम ब्रह्मास्मि का देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी और देश की राजधानी दिल्ली में अपार सफलता के साथ भव्य प्रदर्शन संस्कृति को समर्पित मंचों पर मेगास्टारआज़ाद के अद्भुत- उत्कृष्ट वकृत्व कला के कारण संस्कृत का मर्म युग्धर्म बन सका।
आज़ाद संस्कृत के पुनर्जागरण काल के पुरोधा के रूप में सदियों तक संस्कृतप्रेमियों की स्मृति में रहेंगे। मेगा स्टार आज़ाद की अध्यक्षता में अतिशीघ्र काशी में संस्कृत महाकुम्भ का, शुरुआत होने जा रहा है जो कि भारत को फिर से स्वर्णिम सनातन भारत के रूप में विश्व से परिचित कराएगा। आज़ाद ने जिस सनातन यात्रा का शुभारम्भ अपनी महान कृति,विश्व की पहली मुख्यधारा संस्कृत फ़िल्म अहम ब्रह्मास्मि के साथ किया था आज पूरा विश्व उसे वैश्विक उपलब्धि मानकर उस दिव्य यात्रा का यात्री बन गौरवान्वित अनुभव कर रहा है | कालजयी फिल्म अहम् ब्रह्मास्मि का निर्माण भारत की ऐतिहासिक फिल्म कंपनी द बॉम्बे टॉकीज़ स्टुडिओज़ ने सनातनी महिला फिल्मकार कामिनी दुबे एवं विश्व साहित्य परिषद्, बॉम्बे टॉकीज़ फाउंडेशन , आज़ाद फेडरेशन , वर्ल्ड लिटरेचर आर्गेनाइजेशन ने संयुक्त रूप से किया है |
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